ब्ल्विक्रम से न तपो धन से, यश कीर्ति से राम कभी न तुलेंगे कुबेर के वैभव की कोठरी, बंद तेरे इशारे पे ताले खुलेंगे | द्वार निहारेंगे देव खड़े सब, पंखे समीर तुम्हारे झलेंगे मणि मोति न हार लसेंगे बदन,वर भूषण अगनि अंग झुलेंगे |
ब्ल्विक्रम से न तपो धन से, यश कीर्ति से राम कभी न तुलेंगे कुबेर के वैभव की कोठरी, बंद तेरे इशारे पे ताले खुलेंगे | द्वार निहारेंगे देव खड़े सब, पंखे समीर तुम्हारे झलेंगे मणि मोति न हार लसेंगे बदन,वर भूषण अगनि अंग झुलेंगे |