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ख़याल / राजेश चड्ढ़ा

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यूं ही तो नहीं होता,
कुछ भी.
कोई ख़याल,
किसी वजह की,
कोख़ में ही,
लेता है जन्म.
होता है बड़ा,
काग़ज़ के,
आंगन में