Last modified on 9 अक्टूबर 2011, at 14:49

रुथ के प्रति / भुवनेश्वर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:49, 9 अक्टूबर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भुवनेश्वर |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} Category: अँग्रेज़ी भाषा <…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यदि प्रसन्न पंख गिर जाएँ
और दॄष्टि आँखें मूँद ले
बाज़ दम तोड़ दे
और मकरंद की आँखों में आँसू आ जाएँ
यदि दोपहर चमकने लगे
आगामी कल के उजाले से
रातों में सन्नाटा छा जाए
मछुवारों की पतवारों से

यदि वह झूठ बोल्सने के लिए भी
(शोक मनाना चाहता है)
और सच बोलने के लिए मरना चाहता है
तो उसके ल;इए
बोलने के साथ मर जाना बेहतर है
रुथ के कान में कुछ कहने के बजाय।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमश बक्षी