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मौन / मधुप मोहता

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क्योंकि, शब्द संप्रेषण की सबसे विषम स्थिति है,
इसलिए, मौन।

क्योंकि, मैं समय हूं, संजय नहीं।
निर्भिक, निरपेक्ष, निरापद,
मन में खौलते सत्य की संभव अभिव्यक्ति हूं।
इसलिए मौन।

क्योंकि, मैं विभीषण के भीतर की विभीषिका,
कृष्ण का कण, राम में रमा रावण का रण,
ब्रह्मा का भ्रम, विष्णु का विष और लक्ष्मी का लक्ष्य हूं।
इसलिए मौन।

क्योंकि, मैं प्रकृति की कृति, नियति का यति,
यंत्र का मंत्र और पद्य की पद्धति हूं।
इसलिए मौन।

क्योंकि, मैं नचिकेता का अंतिम प्रश्न हूं। इसलिए मौन।