कहां से प्रारंभ होती है कविता,
कहां से उगते हैं शब्द।
यूं ही, जब कभी भीड़ में
अकेला सा हो जाता है मन,
तब कौन आकर हौले से
कोनों में कह-सा जाता है,
कुछ ऐसा कि अचानक,
सोते-से जाग जाता है
मन के किसी कोने में छिपा दर्द
और, रिस-रिसकर नस-नस में,
आ जाता है
धड़कन-धड़कन बह निकलता है।
तक नहीं जानते शब्द, विराम का अर्थ
और बह निकलते हैं, अपने निर्बाध प्रवाह में।
तुम सामने बैठी रहती हो
आंखों में लिए एक प्रष्न, जिज्ञासु ?
वहां से प्रारंभ होती है कविता।