Last modified on 11 अक्टूबर 2011, at 16:26

नशा / मधुप मोहता

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:26, 11 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधुप मोहता |संग्रह=समय, सपना और तुम ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


एक अंधेरा, एक ख़ामोशी, और तनहाई
रात के तीन पांव होते हैं।
ज़िंदगी की सुबह के चेहरे पर,
रास्ते धूप-छांव होते हैं।

ज़िंदगी के घने बियाबां में,
प्यार के कुछ पड़ाव होते हैं।
अजनबी शहरों में अजनबी लोगों के बीच,
दोस्तों के भी गांव होते हैं।