चांद भी मुझसे जल रहा होगा
चांदनी सी पिघल रही होगी।
आग पानी में लग गई होगी,
तू नहाकर निकल रही होगी।
संग-ए-मरमर सरीं बदन होगा,
और निगाहें फिसल रही होंगी।
चांद भी मुझसे जल रहा होगा
चांदनी सी पिघल रही होगी।
आग पानी में लग गई होगी,
तू नहाकर निकल रही होगी।
संग-ए-मरमर सरीं बदन होगा,
और निगाहें फिसल रही होंगी।