होश की बात मत किया कीजै
होश की बात करना वहशत है।
रोशनी ख़्वाब है बस अंधों का
आंखवालों के लिए दहशत है।
रोज़ मर-मर के जी रहे हैं मगर,
और जीने की अभी हसरत है।
बोझ है पर उठाए फिरते हैं
ज़िंदगी क्या हसीन ज़हमत है।
होश की बात मत किया कीजै
होश की बात करना वहशत है।
रोशनी ख़्वाब है बस अंधों का
आंखवालों के लिए दहशत है।
रोज़ मर-मर के जी रहे हैं मगर,
और जीने की अभी हसरत है।
बोझ है पर उठाए फिरते हैं
ज़िंदगी क्या हसीन ज़हमत है।