Last modified on 28 अक्टूबर 2011, at 09:45

चाँदनी / राधेश्याम बन्धु

यातना यह
औ’ पिछवाड़े बेला संग
बतियाती चाँदनी
रिश्तों की उलझन को
सुलझाती चाँदनी

चाहो तो बाँहों को
हथकड़ी बना लेना
मौन के कपोलों पर
संधि -पत्र लिख देना

एकाकी जीना क्या
समझाती चाँदनी

यादों के जूड़े में
मौलश्री टाँक दो
मिलनों के गजरे में
सपनो को बाँध लो

महुआ तन छेड़-छाड़
इठलाती चाँदनी

यादों की निशिगंधा
रात -रात जागती
मिलनों की एक रात
पूनम से माँगती
 
गंधों की पाती नित
लिखवाती चाँदनी