Last modified on 1 नवम्बर 2011, at 14:16

औरत / पद्मजा शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:16, 1 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पद्मजा शर्मा |संग्रह=सदी के पार / पद...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


मैं
सीधी चली
बोले बनती है

टेढ़ी चली
बोले प्यादल है

रूकी
बोले हार गयी

झुकी
बोले रीढ़ नहीं है

उठी
बोले घमण्डी है

चुप हुई
बोले घुन्नी है

बोली
बोले जुबान कतरनी है

मैं मरी
वे तब चुप हुए।