कल रात
तुम्हारे माथे पर
चमक रहा था धु्रवतारा
कलाई में चाँद
चेहरे पर सूरज का तेज
आँखों में उतरा था आकाश
तुम चल रही थी लहरों-सी
गुनगुनाती हुई वह गीत
जो मैं लिख रहा था
तुम्हें देखकर
कल रात।
कल रात
तुम्हारे माथे पर
चमक रहा था धु्रवतारा
कलाई में चाँद
चेहरे पर सूरज का तेज
आँखों में उतरा था आकाश
तुम चल रही थी लहरों-सी
गुनगुनाती हुई वह गीत
जो मैं लिख रहा था
तुम्हें देखकर
कल रात।