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आसमान है / पद्मजा शर्मा

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मेरा भाल आसमान है
चमक रहे हैं सितारे

पूजा का थाल है
टिमटिमा रहे हैं दिये
चाँद है
फैल रही है चाँदनी
सूरज है
बह रही है रोशनी की नदी

मेरा भाल पृथ्वी है
लहलहा रही है फसलें जिस पर
समंदर है
बिखर रहे हैं शंख-सीप-मोती

फूट रहे हैं सोते अमृत के
जब से तुमने छुआ है
मेरा भाल आसमान हुआ है।