Last modified on 17 नवम्बर 2011, at 16:50

ईश्वर / पद्मजा शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:50, 17 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पद्मजा शर्मा |संग्रह=सदी के पार / पद...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


पाँव देता है पेट के लिए
अंत समय तक घिसते रहो
हाथ देता है कि टूटने तक
जीवन का बोझ उठाते रहो
आँखें देता है कि झुकाकर
चुपचाप रोते रहो
दिल देता है कि
चोट पर चोट खाकर
घावों के साथ भी
हरदम मुस्कराते रहो
असल में वह किस्मत लिखकर
भूल जाता है
और स्याही होती है अमिट
वह ख़ुद भी मिटा नहीं सकता
चाहकर भी किसी रोते को
हँसा नहीं सकता
ईश्वर।