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मिलता नहीं / पद्मजा शर्मा

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जो खाता है
उसका पेट फूल रहा है
जो उगाता है
उसका पेट पीठ से मिल रहा है
जो खाता है
वह बातें बनाता है
जो उगाता है
वह बस उगाने में ही लगा रह जाता है
जो खाता है
वह उगाता नहीं
जो उगाता है
उसको भर पेट मिलता नहीं।