Last modified on 19 नवम्बर 2011, at 10:29

ख़बर / सुभाष शर्मा

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:29, 19 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभाष शर्मा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> खबर...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

खबर थी—पंजाब में दो दर्जन लोग/बन गए गोश्त
पर लोग सब्र किए
कि दो यात्री किसी तरह फुर्र हो गए !
खबर थी-रेल-दुर्घटना में
तीन सौ यात्री मारे गए
लोग चुप रहे
कि घायलों को अस्पताल भेज दिया गया
खबर थी –
सात महिलाओं का बलात्कार हुआ
लोग धैर्य धरे कि
पुलिस बलात्कारियों की तलाश
सरगर्मी से कर रही है
खबर थी –
दंगे में डेढ़ सौ झोपड़पट्टियाँ
जला दी गईं
लोग हर बार की तरह धीरज धरे
घोषणा सुनकर
कि पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा
मृतकों के आश्रितों को नौकरी
और दिए जाएंगे/पहनने को कपड़े
रहने को घर ।
खबर थी –
मरने के बाद ही पूरे होते हैं अरमान
एक साथ मिलता है – रोटी, कपड़ा और मकान
खबर थी –
कटे पेड़ के तने
गौरैया के उजड़े घोंसले
गायों के सूखे थन
और जो बात लोगों के जेहन में
बरसों से रही है
अभी खबर नहीं बनी है !