Last modified on 24 नवम्बर 2011, at 13:10

थारी काया / अर्जुनदेव चारण

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:10, 24 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्जुनदेव चारण |संग्रह=घर तौ एक ना...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


थारी माटी
मुगोतर पावै मां
थूं
पाछी मिनख जमारै मत आजे

म्हैं थारौ जायौ
कीकर सोधूं ऐनांण
खूंटी तांण सूती
इण बस्ती मांय
जिण लोप दी थारी कार

मां
थनै देख जांणी आ बात
कै काया तौ फगत मां री होवै
बाकी स्सैं
सांसां रौ पेटियौ
पूरौ करता
उधारी हांथियां चुकावै

काया रौ भाड़ौ भरणौ
जीवणौ नीं होवै मां
थूं मरण रौ अमर भरोसौ लियां
सूती है
रिंधरोही रौ छेड़ौ नापती