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ऐ पोथियां / अर्जुनदेव चारण

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बेटा
ऐ पोथियां
खोस लेवैला
थारा सपना,
आं रै ढाळियां
थूं
बण जावैला
मसीन

आं सूं बचजै
खुद नै
रचजै