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हो तो / नंदकिशोर आचार्य

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पेड़ को
खिला रहा था वह
हवा को ख़ुशबू करता हुआ
झर कर अब
धरती को कर रहा उर्वर
हो तो ऐसा हो जीवन—
हो तो मृत्यु ऐसी हो ।

24 अप्रैल 2010