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भविष्य / वेणु गोपाल

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मज़बूत घोड़ों की तरह

दौड़ रही हैं

जड़ें


और

सबेरा है

हर तरफ़


गोया घने जंगलों का बिम्ब

उभर आया हो

आकाश में ।


(रचनाकाल :22 मार्च 1980)