Last modified on 29 नवम्बर 2011, at 11:41

कृतज्ञता / नंदकिशोर आचार्य

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:41, 29 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=केवल एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कृतज्ञता हैं पेड़ की
                 फूल
रात भर झरते रहे हैं जो
उस धरती के लिए
खिल जो आई है उन में

धरती कृतज्ञ है पर
                 ख़ला की
ख़ुद में जो

उस को पिरोए है
जिस के लिए
फूल-सी खिल आई है
                   वह

कृतज्ञ है ख़ला ख़ुद भी
जिस में खिल कर
रूप करती है उसे धरती—
सूने को इक दुनिया बनाती है ।

7 जून 2009