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तुम्हारी गाथा / अर्जुनदेव चारण

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काया बांधने को लाये
कंगन-डोरे
मन को बांधने लाये
तुम्हारे लिय मोड़
हम
तुम्हें लेने को नहीं आये थे मां
लेने को आये
बेशकीमती दहेज
कपड़े लत्ते
एक जोड़ी जूतियां

तुम्हारी गाथा
मौड़ से लेकर जूतियों तलक
फैली हुई है।