Last modified on 3 दिसम्बर 2011, at 16:39

अख़बार / शंख घोष

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:39, 3 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=शंख घोष }} Category:बांगला <poem> रोज़ सु...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: शंख घोष  » अख़बार

रोज़
सुबह के अख़बार में
एक शब्द
बर्बरता

अपनी
सनातन अभिधा का
नित नया विस्तार
ढूँढ़ता है ।

मूल बंगला से अनुवाद : नील कमल