रचता रहता
नित-नई दुनिया पेड़—
कितने रूप, कितने रंग, कितने स्वर
हर पत्ते के साथ
धरता नया कोई रूप
हर पत्ते के साथ
मरता हुआ
मरना भी रूप रचना है
रे ओ ईश्वर !
—
9 सितम्बर 2009
रचता रहता
नित-नई दुनिया पेड़—
कितने रूप, कितने रंग, कितने स्वर
हर पत्ते के साथ
धरता नया कोई रूप
हर पत्ते के साथ
मरता हुआ
मरना भी रूप रचना है
रे ओ ईश्वर !
—
9 सितम्बर 2009