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मरना रचना / नंदकिशोर आचार्य

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रचता रहता
नित-नई दुनिया पेड़—
कितने रूप, कितने रंग, कितने स्वर

हर पत्ते के साथ
धरता नया कोई रूप
हर पत्ते के साथ
मरता हुआ

मरना भी रूप रचना है
रे ओ ईश्वर !

9 सितम्बर 2009