घने अँधियारे जंगल बीच
बहा जाता गो गुपचुप
कहीं झलक-सा जाता है
वह जल
तुम्हारी आँख में ज्यों
झलक आती
कभी कोई बूँद ।
—
5 नवम्बर 2009
घने अँधियारे जंगल बीच
बहा जाता गो गुपचुप
कहीं झलक-सा जाता है
वह जल
तुम्हारी आँख में ज्यों
झलक आती
कभी कोई बूँद ।
—
5 नवम्बर 2009