Last modified on 8 दिसम्बर 2011, at 15:32

चंद / रामनरेश त्रिपाठी

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:32, 8 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश त्रिपाठी |संग्रह=मानसी / र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रति के कपोल सा मनोज के मुकुर सा,
उदित देख चंद को हिए में उमड़ा अनंद।
मैंने कहा, सोने का सरोज है सुधा के
सरवर में प्रफुल्लित अतुल है कला अमंद॥
जानबुल-वश का सपूत एक बोल उठा,
लीजिए समझ और कीजिए प्रलाप बंद।
पहुँचे अवश्य अँगरेज वहाँ होते यदि
जानते कहीं जो वे कि सोना है चाँदी चंद॥