जानता हूँ उन सभी परिवर्तनों को
जो कि मुझमें अभी तक होते रहे हैं
देखिए ना,
पड़ा रहता था कभी मैं किलकता या अँगूठे को चूसता
या कभी पैयाँ फेंकता अपने खटोले में
तथा अब, बहुत कम, केवल ज़रूरत आ पड़े तब बोलता हूँ ।
जानता हूँ उन सभी परिवर्तनों को
जो कि मुझमें अभी तक होते रहे हैं
देखिए ना,
पड़ा रहता था कभी मैं किलकता या अँगूठे को चूसता
या कभी पैयाँ फेंकता अपने खटोले में
तथा अब, बहुत कम, केवल ज़रूरत आ पड़े तब बोलता हूँ ।