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यादें बीमार / रमेश रंजक

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फिर लम्बे लान में उतर आई
                 छोटे पाँवों वाली रात ।

जैसे-तैसे काटा दिन
अपने को तोड़-मोड़ कर
खिसक गईं सिरहाने से
यादें बीमार छोड़ कर

नीले वातास पर उभर आए
           अनसुलझे कई सवालात ।