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प्रेम-कविता / नंदकिशोर आचार्य

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कोई शब्द विलोम नहीं होता
                 किसी शब्द का
वह अपना आप होता है
जब तक बलात् तुम उसे
दूसरे से भिड़ाओ नहीं

कविता भिड़ाती नहीं
साथ-साथ करती है
              शब्दों को
—उन को भी
विलोम कह देते हैं जिन को—
हो सकें सम्पन्नतर दोनों
                    परस्पर

हर कविता
—इस लिए बस—
प्रेम-कविता है ।

23 अप्रैल 2010