दशरथ की एक बेटी थी शान्ता
लोग बताते हैं
जब वह पैदा हुई
अयोध्या में अकाल पड़ा
बारह वर्षों तक...
धरती धूल हो गई...।
चिन्तित राजा को सलाह दी गई कि
उनकी पुत्री शान्ता ही अकाल का
कारण है ।
राजा दशरथ ने अकाल दूर करने के
लिए शृंग ऋषि को पुत्री दान दे दी...।
उसके बाद शान्ता
कभी नहीं आई अयोध्या...
लोग बताते हैं
दशरथ उसे बुलाने से डरते थे...।
बहुत दिनों तक सूना रहा अवध का आँगन
फिर उसी शान्ता के पति
शृंग ऋषि ने
दशरथ का पुत्रोष्टि यज्ञ कराया...
दशरथ चार पुत्रों के पिता बन गए...
सन्तति का अकाल मिट गया...।
शान्ता राह देखती रही
अपने भाइयों की...
पर कोई नहीं गया उसे आनने
हाल जानने कभी।
मर्यादा पुरुषोत्तम भी नहीं,
शायद वे भी रामराज्य में अकाल
पड़ने से डरते थे। जबकि वन जाते समय
राम, शान्ता के आश्रम से होकर गुज़रे थे...। पर मिलने नहीं गए ।
शान्ता जब तक रही
राह देखती रही भाइयों की
आएँगे राम-लखन
आएँगे भरत-शत्रुघ्न ।
बिना बुलाए आने को
राजी नहीं थी शान्ता...
सती की कथा सुन चुकी थी बचपन में,
दशरथ से...।