Last modified on 14 जनवरी 2012, at 23:37

कर्मचारी / विजय गौड़

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:37, 14 जनवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय गौड़ |संग्रह=सबसे ठीक नदी का र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
बस बची रहे मेरी पेंशन,
ग्रेच्युटी
मेरा प्रोवीडेंट फंड

फिर चाहे घर बेचो
दुकान बेचो
खेत बेचो, खदान बेचो
बाँसुरी की तान बेचो

बेचो-बेचो इस
निकम्मे हिन्दुस्तान को बेचो
बस बची रहे मेरी पेंशन,
ग्रेच्युटी
मेरा प्रोवीडेंट फंड ।