Last modified on 20 जनवरी 2012, at 19:48

दस्तकें / निदा फ़ाज़ली

Prabhat.gbpec (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:48, 20 जनवरी 2012 का अवतरण (uploaded by Prabhat)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दरवाज़े पर हर दस्तक का

जाना-पहचाना

चेहरा है


रोज़ बदलती हैं तारीखें

वक़्त मगर

यूँ ही ठहरा है


हर दस्तक है 'उसकी' दस्तक

दिल यूँ ही धोका खता है

जब भी

दरवाज़ा खुलता है

कोई और नज़र आ जाता है |


जाने वो कब तक आएगा ?

जिसको बरसों से आना है

या बस यूँ ही रस्ता ताकना

हर जीवन का जुर्माना है |