Last modified on 8 फ़रवरी 2012, at 12:54

श्वास / सुधीर सक्सेना

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:54, 8 फ़रवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह=रात जब चन्द...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साँसें हैं
चलती हुई लगातार
वही-वही साँसें
कभी उदासी
तो कभी उबासी से भरी हुईं
ऐसे में
तुम्हारी मुस्कान से
दोनों से परे
जागती है श्वासों में
एक नई श्वास