('माननीय महोदय, आप लोगों को यह्सूचित्कियजताहै कि आगामी 14-3-2007 को नन्दीग्राम्में ज़मीन पर कब्ज़ा किया जाएगा... आप लोग कुछ लोगों को जुगाड़कर 14-3-2007 को खेजुरी पार्टी आफ़िस में सुबह सात बजे तक इकट्ठे हो जाएँ.
वाहक के मार्फ़त दो लाख रूपए भेज रहा हूं.'
पंचायत प्रधान को सी०पी०एम० के पूर्व सांसद लक्ष्मण सेठ की 8-3-2007 को लिखी चिट्ठी का अंश)
चले जाओ कहो और हम चले जाएँ
यह खेती-बारी और सिर ढकने वाले घर-बार छोड़
कहाँ जाएँ हम ? खाएँ क्या ? किनकी देहरी पर
नौकर-नौकरानी बनें ? क्यों बनें ? अचानक सुबह
तुम लोग गाँव में आ घर छोड़ने को कहो अगर ?
तुम सब के जाने को जगह की है कमी ?
कटी गर्दन-फटा पेट-छिदी छाती-फूटा सिर लिए
तुम सबको बहा लेगी वह तालापाटी नहर यह हल्दी नदी
बाकी सब मिट्टी तले ग्रासरूट लेवल गढ़ेंगे
लाश के ऊपर लाश से...
पुनर्वासन के लिए देख भला खर्च होता हैकितना
इस पार्टी-कोष से
बांग्ला से अनुवाद : संजय भारती