विविध आशुकवि के रूप में ख्याति। भक्तकवि माने जाते हैं। छत्रपति, नाथ, कविदत्त, कवीश्वरदत्त आदि नामों से भी रचनाएँ उपलब्ध। जनश्रुति है कि निरक्षर थे और महादेव की कृपा से कवि बने थे। मैथिली के कवि।
जन्म: अठारहवीं शताब्दी
जन्म स्थान हाली-ऊझटी, दरभंगा, बिहार , भारत।
प्रमुख कृतियाँ सुदामा चरित । द्रौपदी-पुकार, हनुमान-रावण-संवाद, बनगाँव वर्णन आदि लघु-काव्य। कुछ कवित्त और सवैये भी।