Last modified on 26 फ़रवरी 2012, at 17:03

अगर घड़ी बंद हो तो / विष्णु नागर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:03, 26 फ़रवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर }} {{KKCatKavita‎}} <poem> अगर घड़ी ब...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अगर घड़ी बंद हो तो
उसमें हमेशा साढ़े सात
सवा ग्यारह
पौने नौ
या चार
या 2.10 बजेंगे

आँख-कान बंद हों
घड़ी चालू हो
तो भी यही होगा

लेकिन घड़ी को चालू रखना चाहिए
उसमें समय-समय पर नया सेल
लगाते रहना चाहिए

वैसे आँख-कान खुले रहें तो भी कोई
नुक़सान नहीं
लेकिन वे बंद रहें
तो भी घड़ी को तो अपना काम
करने देना चाहिए।