मैं पण्य नहीं
बाज़ार में बहूमूल्य
तराजू नहीं मैं कि
आऊँ काम तौलने के
नहीं मैं बटखरा भी कि
बटाऊँ हाथ व्यवस्था में
मैं भोज्य नहीं हूँ कि
खाया जाऊँ
मैं मय भी नहीं
कि पिया जाऊँ
बना फिर भी दिया उसने मुझे
और रखा नाम आदमी
मैं पण्य नहीं
बाज़ार में बहूमूल्य
तराजू नहीं मैं कि
आऊँ काम तौलने के
नहीं मैं बटखरा भी कि
बटाऊँ हाथ व्यवस्था में
मैं भोज्य नहीं हूँ कि
खाया जाऊँ
मैं मय भी नहीं
कि पिया जाऊँ
बना फिर भी दिया उसने मुझे
और रखा नाम आदमी