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अलविदा / विजय कुमार सप्पत्ति

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सोचता हूँ
जिन लम्हों को ;
हमने एक दूसरे के नाम किया है
शायद वही जिंदगी थी !

भले ही वो ख्यालों में हो ,
या फिर अनजान ख्वाबो में ..
या यूँ ही कभी बातें करते हुए ..
या फिर अपने अपने अक्स को ;
एक दूजे में देखते हुए हो ....

पर कुछ पल जो तुने मेरे नाम किये थे...
उनके लिए मैं तेरा शुक्रगुजार हूँ !!

उन्ही लम्हों को ;
मैं अपने वीरान सीने में रख ;
मैं ;
तुझसे ,
अलविदा कहता हूँ ......!!!

अलविदा !!!!!!