कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने 1919 में जापान-यात्रा से लौटने के पश्चात् ‘जापान-यात्री’ में हाइकु की चर्चा करते हुए बंगला में दो कविताओं के अनुवाद प्रस्तुत किये। वे कविताएँ हैं-
(1)
पुरोनो पुकुर
ब्यांगेर लाफ
जलेर शब्द
(2)
पचा डाल
एकटा को
शरत्काल
दोनों अनुवाद शब्दिक हैं और बाशो की प्रसिद्ध कविताओं के हैं।