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पगडंडी / अवनीश सिंह चौहान

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सब चलते
चौड़े रास्तों पर
पगडंडी पर कौन चलेगा

पगडंडी जो मिल न सकी है
शहरों से-
राजपथों से
जिसका भारत केवल-केवल
गांवों से औ'
खेतों से

इस अतुल्य भारत पर
बोलो
सबसे पहले कौन मरेगा

जहाँ केंद्र से चलकर
पैसा
लुट जाता है रस्ते में
और परिधि
भगवान भरोसे
रहती ठन्डे बस्ते में

मारीचों का
वध करने को
फिर वनवासी कौन बनेगा

कार-काफ़िला
हेलीकाप्टर
सभी दिखावे का धन्धा
दो बीते की
पगडंडी पर
चलता गाँव का बन्दा

खेल सियासी
छोड़-छाड़ कर
कंकड़-पथ को कौन वरेगा