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शेर-1 / असर लखनवी

अच्छा है डूब जाये सफीना1 हयात2 का,
उम्मीदो-आरजूओं का साहिल3 नहीं रहा।


 अपने वो रहनुमा 4 हैं कि मंजिल तो दरकनार5,
 कांटे रहे - तलब में बिछाते चले गए।


 अपने ही दिल के आग में शम्अ पिघल गई,
 शम्ए-हयात6 मौत के सांचे मे ढल गई।


इक फूल है अंदेशा नहीं जिसको खिजाँ 7का,
 वह जख्म जिसे आप ने दामन से हवा दी।



 इतना तो सोच जालिम जौरो-जफा8 से पहले,
 यह रस्म दोस्ती की दुनिया से उठ जायेगी।

1.सफीना - नाव, नौका, किश्ती 2.हयात-जिन्दगी 3.साहिल - किनारा, तट।

4रहनुमा - मार्ग दिखाने वाला, प्रथ-प्रदर्शक 5. दरकनार -  एक तरफ,अलग 
6.शम्ए-हयात -  जिन्दगी की शम्अ। 7.खिजाँ - पतझड़ की ऋतु  
8जौरो-जफा - अत्याचार, अन्याय, जुल्मो-सितम