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हुई सुबह / पुष्पेन्द्र फाल्गुन

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एक लड़की हंसती है
बस की खिड़की से बाहर देखती हुई
तो
छँटने लगती है कालिमा शहर की
दूर कहीं से घनघनाता भोंपू
उछाल देता है सूर्य को आकाश में