Last modified on 25 मार्च 2012, at 14:01

गुडिय़ा (2) / उर्मिला शुक्ल

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:01, 25 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उर्मिला शुक्ल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> ब...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


बच्ची को जन्म देकर
तुष्ट नहींहोता
मातृत्व
गर्व से उठता नहीं
मस्तक
अतृप्त मन
चाहने लगता है
कुछ और
गुडिय़ों के ढेर पर
बैठा उसे
करने लगता है उसके
गुडिय़ा बन जाने का
इंतजार