Last modified on 27 मार्च 2012, at 13:03

जवाब / बेई दाओ

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:03, 27 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=बेई दाओ |संग्रह= }} Category:चीनी भाषा ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: बेई दाओ  » जवाब

नींव की कुंजी होती है नीचे गिरते जाना
कुलीनता समाधि-लेख होती है कुलीनों की
देखो यह उड़ता हुआ आसमान किस तरह ढंका हुआ है
मुर्दों की तिरती-लिपटती परछाइयों से

हिमयुग अब ख़त्म हो चुका है
फिर क्यों चारों तरफ़ यह हिम ही हिम है?
अच्छी आशाओं का लबादा यानी केप ऑफ गुड होप की खोज हो चुकी
फिर भी मृत सागर को जीतने को हज़ार नौकाएं क्यों तैयार हैं?

जब इस दुनिया में आया मैं
तो मेरे पास थे महज़ काग़ज़, रस्सी, परछाईं
निर्णय से पहले ही जिस आवाज़ पर निर्णय सुना दिया गया
उस आवाज़ के प्रमाण में मैं कहता हूं :

तुम्हें बता दं मैं, ऐ दुनिया
मैं - विश्वास - नहीं - करता
अगर हज़ार चुनौतीबाज़ तुम्हारे पैरों के नीचे रुंदे पड़े हैं
मुझे एक हज़ार एक वां गिन लेना

मैं विश्वास नहीं करता कि आसमान का रंग नीला है
मैं विश्वास नहीं करता कि तूफ़ानों की भी प्रतिध्वनि होती है
मैं विश्वास नहीं करता कि सपने झूठे होते हैं
मैं विश्वास नहीं करता कि मृत्यु का कोई बदला नहीं होता

अगर समंदर की नियति में यही है कि वह नहरों से छल करे
तो लाओ, सारा खारा पानी मेरे हृदय में उंड़ेल दो
अगर धरती की नियति में यही है कि वह बह जाए
तो मनुष्यता को फिर एक पर्वतचोटी चुनने दो अपने वजूद के लिए

झिलमिलाते सितारों का एक नया गुच्छा
अबाधित आसमान की शोभा बढ़ा रहा है :
यह पांच हज़ार साल पुराना रेखाचित्र है
ये आने वाली नस्लों की पहरेदार आंखें हैं

अंग्रेजी भाषा से रूपांतरण : गीत चतुर्वेदी