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अपने दोषों से मुक्त रात अब हर ओर से सटीक हो रही
मैं भाषा के भीतर तिर रहा हूं
मृत्यु के संगीत में निर्लज्जता
बर्फ़ से भरी हुई है
दिन में कौन अपने घावों से उबर पाता है
गाता हुआ जल, कसैला होने लगता है
ख़ून बहाती ज्वाला दुर्बल होती है
तेंदुओं की तरह सितारों की तरफ़ झपटती है
स्वप्न देखने के लिए
आपको शिल्प की ज़रूरत होगी
एक सर्द सुबह
जागता हुआ एक पक्षी
सत्य के और क़रीब पहुंचता है
मैं और मेरी कविता
डूब रहे होते हैं उस समय
किताब में फरवरी :
कुछ हलचलें और परछाइयां
अंग्रेजी भाषा से रूपांतरण : गीत चतुर्वेदी