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करवा चौथ / हरकीरत हकीर

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वह फिर जलाती है
दिल के फासलों के दरम्याँ
उसकी लम्बी उम्र का दिया ।

यह भी औरत की कैसी मज़बूरी है कि जो दर्द देता है , मन से उसी के लिए दुआ निकलती है