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अब ऐसे / प्रभात

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तुमने जो मुझसे माँगा मेरी प्यार
मिलने की इच्छा की सूखी घास का घर
वह मैं तुम्हारे लिए बना नहीं पाऊँगा
तुम्हारे लिए मेरे प्यार को अब ऐसे रहना होगा
जैसे किसी अनंत सिलसिले की तरह विशाल खण्डहर में
हवाएँ रहतीं हैं