Last modified on 12 अप्रैल 2012, at 21:08

सांता क्लाज / दुन्या मिखाईल

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:08, 12 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=दुन्या मिखाईल |संग्रह= }} [[Category:अर...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: दुन्या मिखाईल  » सांता क्लाज

अपनी युद्ध जैसी लम्बी दाढ़ी
और इतिहास जैसा लाल लबादा पहने
सांता, मुस्कराते हुए ठिठके
और मुझसे कुछ पसंद करने के लिए कहा.
तुम एक अच्छी बच्ची हो, उन्होंने कहा,
इसलिए एक खिलौने के लायक हो तुम.
फिर उन्होंने मुझे कविता की तरह का कुछ दिया,
और क्यूंकि हिचकिचा रही थी मैं,
आश्वस्त किया उन्होंने मुझे : डरो मत, छुटकी
मैं सांता क्लाज हूँ.
बच्चों को अच्छे-अच्छे खिलौने बांटता हूँ.
क्या तुमने मुझे पहले कभी नहीं देखा ?
मैनें जवाब दिया : लेकिन जिस सांता क्लाज को मैं जानती हूँ
फ़ौजी वर्दी पहने होता है वह तो,
और हर साल वह बांटता है
लाल तलवारें,
यतीमों के लिए गुड़िया,
कृत्रिम अंग,
और दीवारों पर लटकाने के लिए
गुमशुदा लोगों की तस्वीरें.
  
अनुवाद : मनोज पटेल