1
चाहो अगर
छूना आसमान को
फैलाओ पंख
2
शाम के वक्त
लौटते हैं पंछी भी
आशियाने में
3
सिसक रहे
हरे भरे वृक्ष भी
अत्याचारों से
4
नहीं बनाते
पंछी भी आशियाना
सूखे वृक्षों पे
1
चाहो अगर
छूना आसमान को
फैलाओ पंख
2
शाम के वक्त
लौटते हैं पंछी भी
आशियाने में
3
सिसक रहे
हरे भरे वृक्ष भी
अत्याचारों से
4
नहीं बनाते
पंछी भी आशियाना
सूखे वृक्षों पे