चन्दनमन
रचनाकार | सम्पादन- भावना कुँअर और रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' |
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प्रकाशक | अयन प्रकाशन, 1/20 महरौली , ,नई दिल्ली–110030 |
वर्ष | 2011 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | हाइकु कविताएँ |
विधा | हाइकु |
पृष्ठ | 120 |
ISBN | 978-81-7408-462-0 |
विविध | मूल्य(सजिल्द) :160 |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
डॉ अर्पिता अग्रवाल के अनुसार रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु के हाइकु मानवीय और प्राकृतिक प्रेम के उच्छल प्रयास हैं. खिलखिलाए पहाड़ी नदी जैसी मेरी मुनिया’‘-(पृष्ठ-77) तुतली बोली आरती में किसी ने
मिसरी घोली--(पृष्ठ-77)
सचमुच कानों में चाँदी की घण्टियों की मधुर ध्वनि गूँज उठती है । हिमांशु जी के हाइकुओं में प्रकृति के नाना रूपों के मनोहर चित्रों के साथ मानवीय संवेदनाओं की निश्छल , पावन अनुगूँज भी है : ‘बीते बरसों/ अभी तक मन में खिली सरसों’--(पृष्ठ-81) ‘दर्द था मेरा
मिले शब्द तुम्हारे गीत बने थे’-(पृष्ठ-83)
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