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अपरिवर्तित प्रेम / विमल कुमार

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तुमने भी मुझसे कहा था
एक दिन
मुझे प्यार करो
तो उसी रूप में
जिस रूप में
मैं हूं
अपरिवर्तित
मुझे प्यार करो
लहरों में फंसी मेरी नाव को भी प्यार करो
उस तूफान से भी
जिसमें घिरी हूं मैं

प्यार में यह न कहो
कि मैं अपना रंग
और गंध और अपनी भाषा बदल लूं
तुम्हारे लिए
बदल दूं
अपना नजरिया
अपनी दृष्टि

तुम प्यार करो
मेरी सीमाओं से
प्यार करो
मेरी कमजोरियों से

न कहो
कि मैं अपनी रेखाओं को मिटा दूं
मिटा दूं
अपने पांचों के निशान

प्यार करो
तो मेरे दुख से भी
प्यार करो

केवल सपनों और
उम्मीदों से न करो
करो मुझसे प्यार
संपूर्णता में करो

मुझे मेरे वक्त से
काटकर
काटकर मेरे अतीत से
भविष्य से
प्यार नहीं करो

करो,
तो जरा सोच समझकर
करो,
इतनी जल्दबाजी
हड़बड़ी
और भावुकता में
प्यार नहीं करो